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ज्योतिष गूगल जैसा है। ज्योति पाखंड नहीं, ज्योतिष वह विद्या है जो गृह एवं नक्षत्रों की गति पर निर्भर करती है। इसी के आधार पर गणना की जाती है और तब जन्म कुंडली में बने घरों में उनकी स्थिति को देखकर भविष्य का अनुमान लगाया जाता है। जिस प्रकार गणित कभी आवेगज्ञानिक नहीं हो सकता, उसी प्रकार ज्योतिष भी कभी अप्रासंगिक नहीं हो सकता। यदि ऐसा होता तो आज लोग पड़े-लिखे होने के बाद किसी ज्योतिषी के पास नहीं जाते।
आसान भाषा में कहें तो ज्योतिष गूगल जैसा ही कार्य करता है। आपको एक जगह जाने के लिए आसान रास्ता और भीड़ वाला रास्ता दोनों बताता है फिर मर्ज़ी आपकी की आप कौन सा रास्ता लेते हैं। ज्योतिष शास्त्र को ज्योति:शास्त्र भी कहा गया है, जैसे आप गूगल सर्च करके कोई जानकारी प्राप्त कर सकते हैं वैसे है, वैसे ही ज्योतिष शास्त्र के जरिये आप जीवन-मरण का रहस्य, सुख दुख, हानि लाभ आदि के बारे में जानकारी ले सकते हैं।
वास्तव में यह एक दैविक विज्ञान है जो देव कृपा से हमें प्राप्त हुआ है। मान्यता यह है की हमारे महश्री अपनी आध्यात्मिक शक्तियों के आधार पर सृष्टि नियंता ब्रम्हा से संपर्क स्थापित करमे में समर्थ थे और ब्रह्मा जी से ही उन्होने ज्योतिष का दैविक ज्ञान प्राप्त किया था। बाद में महर्षियों ने जन साधारण के कल्याण के लिए इस विद्या का प्रचार किया।
आजकल हिन्दू ज्योतिष के अत्यंत प्रतिष्ठित विद्वान प्रो वंगलोर वेंकटारमन का निमंलिखित सिद्धांत इस संबंध में उद्धरण योग्य है—-
“फलानि ग्रहचारेण सूचयंति मनीषिण:।
को वक्ता तारतम्यस्य तमकेम वेधसम विना:।
अथार्थ ज्योतिष के ज्ञाता एक प्रकार से यह संकेत या सूचना दे सकते हैं की भविष्य में क्या होने वाला है। विधाता ब्रह्मा के अतिरिक्त कौन निश्चित रूप से बता सकता है की सचमुच क्या होगा?
मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखने पर यह पता चलता है की इस जिज्ञासावृति ने ही मानव को ज्योतिष शास्त्र के गंभीर रहस्योद्घाटन मे लिए प्रवृत्त किया है। तारे, ग्रह, नक्षत्र, चंद्र, सूर्य आदि को देखकर वह उनके पीछे रहस्य का पता लगाने को विवश हो उठा और तब से आज तक वह इन गुत्थियों को सुलझाता जा रहा है। `
हालांकि ऐसे लोग भी है जो दिन में तो ज्योतिष को पोंगापंथी मानते है और रात में अपने भविष्य से जुड़ी बातों को जानने के लिए किसी ज्योतिष का ही द्वार खटखटाते हैं। पंचांग में लिखी बातें, तिथियाँ, चंद्र ग्रहण, सूर्य ग्रहण का दिन आज भी लागू होता है। यदि पंचांग आज भी सही है तो ज्योतिष कैसे गलत हो सकता है। यह भी सही है की कुछ लोगों पर व्यावसायिक प्रव्रत्ति इतनी हावी है की ज्योतिष के अच्छे-बुरे प्रोयग से कुछ भी कमा लेना चाहते है। उनका इस प्रकार का रवैया ही ज्योतिष विद्या पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।
ग्रह निवरण में क्या कारगर:-
यदि जन्म तिथि और समय एक दम सही है और गणना बिलकुल सही हुई है तो ज्योतिष बहुत कारगर है। जैसे भावी वर्षों में यदि कोई मानसिक और शारीरिक कष्ट आने वाला है तो ज्योतिष इसकी पूर्व सूचना दे देता है। रत्नों व पूजा आदि से पाप ग्रहों की शांति होती है। यदि आपकी मृत्यु लिखी है तो ज्योतिष इसकी केवल सूचना दे सकता है मगर इस विधान को मिटा नहीं सकता। उधाहरण के तौर पर यदि आपकी आँख में कोई बीमारी है तो डॉक्टर उसका इलाज़ कर सकता है लेखिन यदि आँख ही नहीं है तो डॉक्टर भी कुछ नहीं कर सकता ठीक यही ज्योतिष के साथ है। यह हमें कैसे एक अपने या अपने जीवन में क्या होगा की बहुत उचित संकेत देता है। जीवन में कमजोर और मजबूत क्षेत्रों को उपायों से और बेहतर किया सकता है लेकिन बदला नहीं जा सकता। बुनियादी लक्षण या व्यक्ति की विशेषताओं को पूरी तरह से नहीं बदला जा सकता है। किसी के जीवन में होने वाली घटनाओं के बारे में सचेत कर सकते है पर समय नहीं बदला जा सकता है।
अनिता कपूर